Sankashthi Chaturthi- merikundli.com
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत किया जाता है | मान्यता है कि संकष्टी Sankashthi chaturthi पर भगवान गणेश की पूजा और व्रत रखने से भक्तों के जीवन से सभी विपद दूर होती हैं और उन्हें सुख-शांति मिलती है | मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी Sankashthi Chaturthi मनाई जाती है |
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी chaturthi तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है | इसे गणापती या गणाधिप संकष्ठी चतुर्थी भी कहा जाता है | इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है | Yantra
Importance Of Sankashthi Chaturthi-
इस व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है | गणाधिप snkashthi caturthi व्रत करने से भक्तों के जीवन में आने वाली हर समस्या दूर होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं |
मान्यता है कि इस व्रत को करने से विघ्नहर्ता श्री गणेश किसी भी कार्य में आ रही रुकावट को दूर करते हैं | साथ ही सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं | इस दिन चंद्रमा की भी पूजा की जाती है और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है |
Sankashthi Chaturthi- संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि 11 नवंबर 2022 रात आठ बजकर 17 मिनट से लगी है और ये 12 नवंबर 2022 को रात 10 बजकर 25 मिनट तक रहेगी | संकष्टी चतुर्थी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह आठ बजकर दो मिनट से लेकर सुबह नौ बजकर 23 मिनट तक रहेगा | इसके अलावा दोपहर एक बजकर 26 मिनट से लेकर शाम चार बजकर आठ मिनट तक भी पूजा के लिए उत्तम समय है | merikundli.com
चंद्रोदय का समय-
Sankashthi Chaturthi के दिन भगवान गणेश जी का पूजन किया जाता है और दिन भर व्रत रखा जाता है | इसके बाद रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है | इस बार गणाधिश संकष्टी चतुर्थी के दिन रात को 8 बजकर 21 मिनट पर चंद्रोदय होगा |
संकष्टी चतुर्थी Sankashthi Chaturthi पूजन विधि-
- संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें. इसके बाद मंदिर की सफाई करें |
- मंदिर में एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें |
- फिर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें और पूजा शुरू करें | अक्षत, धूप-दीप जलाएं और फिर भगवान गणेश की आरती करें |
- व्रत की कथा पढ़ना ना भूलें. पूजन में गणेशजी को तिल, गुड़, लड्डू, दूर्वा और चंदन चढ़ाएं | दिन भर व्रत रखने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलें |
- इस दिन व्रती लोग केवल फलाहार ही ले सकते हैं | रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर गणेश जी का भोग निकालें और व्रत खोलें | Know More…..