Ganpati Puja 2025
गणपति बप्पा मोरया! जैसे ही अगस्त का महीना आता है, पूरा महाराष्ट्र एक नए रंग में डूब जाता है। 2025 में गणपति चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर तक चलेगा। यह 10 दिनों का भव्य उत्सव केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी बड़ा उत्सव है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि गणपति पूजा कैसे की जाती है, महाराष्ट्र में यह इतना लोकप्रिय क्यों है, इसके प्रमुख मंदिर कौन से हैं और बिहार-उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इसकी लोकप्रियता अपेक्षाकृत कम क्यों है।
गणपति चतुर्थी 2025 की तारीखें
- शुभारंभ (प्रतिष्ठा): 27 अगस्त 2025, बुधवार
- विसर्जन (अनंत चतुर्दशी): 6 सितंबर 2025, शनिवार
- कुल अवधि: 10 दिन
माना जाता है कि इन 10 दिनों तक भगवान गणेश भक्तों के घर और पंडालों में विराजमान रहते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
महाराष्ट्र में गणपति का इतना क्रेज क्यों है?
महाराष्ट्र की पहचान ही गणपति उत्सव से है। चाहे मुंबई हो, पुणे हो या नागपुर—हर गली, हर मोहल्ला, हर सोसायटी गणपति पंडाल से सज जाता है। लेकिन आखिर क्यों?
- इतिहासिक कारण: लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में गणपति उत्सव को सार्वजनिक रूप दिया ताकि लोग अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट हो सकें।
- सांस्कृतिक विरासत: महाराष्ट्र की परंपरा और लोक संस्कृति में गणेश पूजा गहरी जड़ें जमा चुकी है।
- सामाजिक एकता: यह उत्सव केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक मेल-जोल का भी माध्यम बन चुका है।
- भव्यता: महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पंडाल जैसे लालबागचा राजा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।
Ganpati Puja 2025
गणपति पूजा विधि 2025
गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है। पूजा विधि इस प्रकार है:
- स्नान और शुद्धि: सुबह नहा-धोकर साफ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थान की तैयारी: लाल या पीले कपड़े पर गणपति जी की मूर्ति स्थापित करें।
- प्राण प्रतिष्ठा: मंत्रों के साथ मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करें।
- षोडशोपचार पूजा: फूल, धूप, दीप, मोदक, फल और दूर्वा अर्पित करें।
- भोग: भगवान को खासकर मोदक अति प्रिय है।
- निषेध: इस दिन चंद्रमा देखना वर्जित माना जाता है।
- उत्तर पूजा और विसर्जन: अंतिम दिन गणपति का विसर्जन किया जाता है।
फेमस गणपति मंदिर
- चिंतामणि मंदिर, थेऊर (पुणे) – अष्टविनायक मंदिरों में एक प्रमुख।
- रणजंगांव गणपति (पुणे) – महागणपति मंदिर, जहां गणेश जी के 10 सूंड और 20 हाथों की प्रतिमा का उल्लेख मिलता है।
- सरसबाग गणपति (पुणे) – साधारण मंदिर लेकिन लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र।
- लालबागचा राजा (मुंबई) – भव्य पंडाल और सबसे ज्यादा भीड़ वाला गणपति उत्सव।
बिहार और उत्तर प्रदेश में कम लोकप्रियता क्यों?
- स्थानीय परंपराएँ: बिहार और यूपी में छठ पूजा, दुर्गा पूजा और कुंवर पूजा जैसे उत्सव ज्यादा लोकप्रिय हैं।
- क्षेत्रीय अंतर: महाराष्ट्र में गणपति को परिवार और समाज का उत्सव माना जाता है, जबकि उत्तर भारत में गणेश पूजा मुख्यतः गणेश चतुर्थी तक सीमित रहती है।
- ऐतिहासिक प्रभाव: लोकमान्य तिलक का आंदोलन महाराष्ट्र केंद्रित था, इसलिए यहाँ गणपति उत्सव ज्यादा गहराई से जुड़ गया।
गणपति पूजा का संदेश
गणपति उत्सव हमें यह सिखाता है कि जीवन से विघ्न हटाकर सफलता की ओर बढ़ना ही असली पूजा है। 2025 का यह उत्सव एक बार फिर लोगों को सामाजिक एकता, भाईचारे और श्रद्धा का अनुभव कराएगा।
निष्कर्ष
2025 की गणपति चतुर्थी भारत के हर कोने में धूमधाम से मनाई जाएगी। महाराष्ट्र में इसका उत्साह चरम पर होगा, जबकि उत्तर भारत में धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। चाहे आप महाराष्ट्र में हों या बिहार-यूपी में, गणपति बप्पा का आशीर्वाद हर जगह समान रूप से फलदायी है।
गणपति बप्पा मोरया! मंगलमूर्ति मोरया!
Key Dates
– Ganesh Chaturthi Date: Wednesday, August 27, 2025
– Ganpati Sthapana: August 27, 2025 (Madhyahna Puja Muhurat: 11:05 AM to 01:40 PM)
– Ganesh Visarjan Date: Saturday, September 6, 2025
Puja Details
– Madhyahna Puja Muhurat: 11:05 AM to 01:40 PM on August 27, 2025
– Chaturthi Tithi Begins: August 26, 2025, 03:01 PM
– Chaturthi Tithi Ends: August 27, 2025, 05:26 PM
Visarjan Timings
– Ganesh Visarjan: September 6, 2025 (Auspicious timings: 07:36 AM to 09:10 AM, 12:19 PM to 05:02 PM, 06:37 PM to 08:02 PM, and 09:28 PM to 01:45 AM on Sep 7)
Other Important Dates
– Gauri Avahan: Sunday, August 31, 2025
– Gauri Puja: Monday, September 1, 2025
– Gauri Visarjan: Tuesday, September 2, 2025