अनंत चतुर्दशी 2025
अनंत चतुर्दशी क्या है?
अनंत चतुर्दशी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान श्री विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी दुख-दुःख दूर होते हैं।
इसी दिन गणेश चतुर्थी पर स्थापित किए गए गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है। इसलिए महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों में यह पर्व विशेष उत्साह से मनाया जाता है।
🔹 कहाँ मनाई जाती है अधिक?
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महाराष्ट्र और गोवा में अनंत चतुर्दशी का गणेश विसर्जन के साथ विशेष महत्त्व है।
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उत्तर भारत में यह दिन मुख्यतः विष्णु भक्तों और व्रत करने वालों द्वारा मनाया जाता है।
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दक्षिण भारत में इसे विष्णु जी की पूजा और अनंत सूत्र धारण करने के दिन के रूप में माना जाता है।
🔹 अनंत चतुर्दशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार पांडवों ने भी यह व्रत किया था। जब वे जुए में सब कुछ हार गए थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी व्रत करने की सलाह दी थी। इस व्रत से पांडवों का जीवन फिर से समृद्ध हुआ।
अनंत चतुर्दशी 2025
🔹 पूजा विधि (Puja Vidhan)
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प्रातः स्नान कर संकल्प लें।
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घर या मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
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कलश स्थापना करें और उसमें नारियल, आम के पत्ते रखें।
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अनंत भगवान का चित्र/प्रतिमा को पीले और लाल धागे से बने “अनंत सूत्र” अर्पित करें।
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14 गांठों वाला अनंत सूत्र बनाकर उसे पूजा के बाद दाहिने हाथ (पुरुष) और बाएँ हाथ (स्त्री) में बाँधें।
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विष्णु सहस्रनाम या अनंत स्तोत्र का पाठ करें।
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प्रसाद चढ़ाएँ और ब्राह्मणों को भोजन कराएँ।
🔹 कौन करता है उपासना?
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यह व्रत गृहस्थ लोग करते हैं ताकि घर में सुख-शांति बनी रहे।
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व्यापारी वर्ग इसे धन और समृद्धि की कामना से करता है।
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महिलाएँ परिवार की रक्षा और उन्नति के लिए यह व्रत करती हैं।
🔹 अनंत सूत्र का महत्व
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लाल और पीले धागे से 14 गांठ वाला धागा तैयार किया जाता है।
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यह धागा “अनंत भगवान” का प्रतीक है।
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इसे बाँधने से व्यक्ति को 14 लोकों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख, धन और समृद्धि बनी रहती है।
🔹 निष्कर्ष
अनंत चतुर्दशी केवल भगवान विष्णु की उपासना का दिन नहीं है, बल्कि यह दिन हमें धैर्य, विश्वास और अनंत भक्ति का संदेश देता है।
इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होकर सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
🙏 “ॐ अनन्ताय नमः” का जप अवश्य करें।
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अनंत चतुर्दशी व्रत में “अनंत सूत्र” बाँधने की परंपरा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। आइए विस्तार से समझते हैं:
अनंत सूत्र क्या होता है?
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अनंत सूत्र एक पवित्र धागा होता है, जो कच्चे सूत (कॉटन थ्रेड) या रेशमी धागे से बनाया जाता है।
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यह धागा लाल और पीले रंग में रंगा जाता है।
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इसमें 14 गांठें लगाई जाती हैं, जो भगवान विष्णु के “अनंत स्वरूप” और 14 लोकों (भूलोक से लेकर ब्रह्मलोक तक) का प्रतीक होती हैं।
🔹 बाँधने का नियम (Riwaj)
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पूजा में अनंत भगवान (श्रीविष्णु) को अर्पित करने के बाद यह सूत्र धारण किया जाता है।
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पुरुष इसे दाहिने हाथ की कलाई पर बाँधते हैं।
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स्त्रियाँ इसे बाएँ हाथ की कलाई पर बाँधती हैं।
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धागा बाँधते समय “ॐ अनन्ताय नमः” मंत्र बोला जाता है।
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इसे पूरे वर्ष तक पहनना शुभ माना जाता है।
🔹 मान्यता
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यह धागा अनंत भगवान (श्रीविष्णु) की रक्षा का प्रतीक है।
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इसे धारण करने से व्यक्ति को दीर्घायु, धन, समृद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है।
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परिवार में शांति और सौभाग्य बना रहता है।
✨ निष्कर्ष
अनंत चतुर्दशी व्रत का सार यही है कि अनंत सूत्र धारण करने से भक्त को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।